नई
दिल्ली।।
अन्ना हजारे
के आंदोलन के
बाद देशभर में
राज्य
सरकारों ने
जनता से जुड़े
कामों को तय
समय सीमा में
पूरा करने,
लापरवाह
अधिकारियों
के खिलाफ
जुर्माना
करने और
भ्रष्टाचार
निवारक
संस्थाओं को
अधिकार देने
जैसे कदम
उठाने शुरू कर
दिए हैं।
मध्य प्रदेश और बिहार सार्वजनिक सेवाओं को ज्यादा प्रभावी तरीके से मुहैया कराने संबंधी कानून पहले ही लागू कर चुके हैं, वहीं छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने जनसेवा गारंटी अधिनियम को लागू कर 1 साल से भी कम समय में 36 लाख शिकायतों को निपटा दिया है।
बिहार ने सार्वजनिक सेवा में खामियों से जनता को छुटकारा दिलाने के प्रतीकात्मक कदम के रूप में बीते स्वतंत्रता दिवस पर सेवा का अधिकार अधिनियम लागू किया है। यहां जुर्माने की अधिकतम राशि 5,000 रुपये है। हिमाचल प्रदेश ने मॉनसून सत्र में हिमाचल प्रदेश जनसेवा गारंटी विधेयक-2011 पास किया है। इस अधिनियम में भी अधिकतम 5,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
इसी तरह दिल्ली में भी 15 सितंबर से समयबद्ध सेवा आपूर्ति नागरिक अधिकार अधिनियम-2011 लागू हो जाएगा। हालांकि इस अधिनियम में लापरवाह अधिकारी के खिलाफ मात्र 200 रुपये के जुर्माने का ही प्रावधान है। राजस्थान मंत्रिमंडल ने भी राजस्थान सार्वजनिक सेवा आपूर्ति गारंटी विधेयक-2011 को राज्यपाल की मंजूरी के लिए उनके पास भेजा है।
छत्तीसगढ़, लोकसेवा गारंटी अधिनियम को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। उत्तर प्रदेश का कहना है कि उसके पास पहले से इस तरह का एक कानून है। उड़ीसा में भी सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा मुहैया कराई जा रही सेवाओं के विवरण अपनी वेबसाइट्स पर उपलब्ध कराएं।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सेवा का अधिकार कानून लाना चाहते हैं, जिसका उद्देश्य शासन में सुधार लाना है। जम्मू एवं कश्मीर ने राज्य जवाबदेही आयोग के प्रमुख पद पर एक रिटायर्ड जज की नियुक्ति की है। यह आयोग हाल तक नेतृत्वविहीन था।
महाराष्ट्र भी लोकायुक्त को व्यापक अधिकार देने की योजना बना रहा है। असम प्रभावी लोकपाल की वकालत कर रहा है, जबकि झारखंड शीतकालीन सत्र में भ्रष्टाचार निवारक विधेयक विधानसभा में पेश करेगा। महाराष्ट्र भी काम में लेटलतीफी करने पर अपने अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है।
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